Peyush Bansal की प्रेरणादायक सफलता की कहानी जानिए, जिन्होंने लेंसकार्ट (Lenskart) को एक छोटे से स्टार्टअप से भारत की सबसे बड़ी आईवियर कंपनी बनाया। उनके संघर्ष, विज़न और बिज़नेस आइडिया ने कैसे उन्हें सफलता दिलाई – पढ़ें पूरी कहानी।
भारत में स्टार्टअप्स की लहर ने कई ऐसे युवा उद्यमियों को जन्म दिया है, जिन्होंने न केवल भारतीय बाजार को बदला, बल्कि दुनिया में भी अपनी पहचान बनाई। इन्हीं सफल और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों में से एक हैं पियूष बंसल, जो Lenskart के संस्थापक और सीईओ हैं। उन्होंने आईवियर इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी और यह साबित किया कि दृष्टि से जुड़ी समस्याओं का समाधान सिर्फ चश्मा पहनने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की भी बड़ी भूमिका हो सकती है।
परिचय (Introduction)
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में जब भी सफल कहानियों की बात आती है, तो Peyush Bansal का नाम सबसे आगे लिया जाता है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर उन्होंने Lenskart जैसी यूनिकॉर्न कंपनी खड़ी की और आज वे न सिर्फ़ एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं।
शुरुआती जीवन और शिक्षा (Early Life & Education)
पियूष बंसल का जन्म 26 अप्रैल 1985 को दिल्ली में हुआ था। वे एक साधारण मिडिल-क्लास परिवार से आते हैं, जहाँ शिक्षा और मेहनत को बहुत महत्व दिया जाता था।
- स्कूलिंग उन्होंने दिल्ली से की।
- इसके बाद वे McGill University, Canada गए और वहाँ से Electrical Engineering की डिग्री हासिल की।
- उनकी जिज्ञासा और सीखने की चाहत ने उन्हें आगे बढ़ाया और उन्होंने IIM Bangalore से मैनेजमेंट की पढ़ाई भी पूरी की।
यहां से उन्हें टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट और इनोवेशन का सही मिश्रण मिला, जिसने आगे चलकर Lenskart की नींव रखने में मदद की।
माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी और वापसी (Job at Microsoft & Return to India)
अपनी पढ़ाई के बाद पियूष ने अमेरिका में Microsoft कंपनी में बतौर Program Manager काम किया।
- यह नौकरी शानदार थी और यहाँ उन्हें एक बड़ा करियर बनाने का मौका था।
- लेकिन पियूष का मन नौकरी में नहीं लगा, क्योंकि वे खुद कुछ बनाने और उद्यमिता की राह पर चलने का सपना देखते थे।
उन्होंने एक साल बाद नौकरी छोड़ दी और भारत लौट आए। उनका मानना था कि भारत में बहुत बड़ी आबादी है और यहां समस्याओं के समाधान के लिए बिज़नेस आइडियाज़ की कमी नहीं।
शुरुआती असफलताएं और सीख (Initial Failures & Learnings)
भारत लौटने के बाद पियूष ने कई स्टार्टअप्स पर काम किया।
- उनका पहला स्टार्टअप था SearchMyCampus, जो स्टूडेंट्स को कॉलेज कैंपस से जुड़ी सेवाएँ जैसे हाउसिंग, पार्ट-टाइम जॉब्स, किताबें और कारपूलिंग उपलब्ध कराता था।
- हालांकि यह बड़ा सफल नहीं हुआ, लेकिन इसने उन्हें भारतीय ग्राहकों और उनकी जरूरतों को समझने का अनुभव दिया।
यही अनुभव आगे चलकर Lenskart की बुनियाद बना।
लेंसकार्ट की शुरुआत (The Birth of Lenskart)
साल 2010 में पियूष बंसल ने लेंसकार्ट (Lenskart.com) की नींव रखी।
- शुरुआत में यह एक ऑनलाइन कॉन्टैक्ट लेंस बेचने वाला प्लेटफॉर्म था।
- धीरे-धीरे इसमें चश्मे और सनग्लासेस को भी जोड़ा गया।
- कंपनी ने एक खास मॉडल अपनाया – ऑनलाइन + ऑफलाइन स्टोर्स, जिससे ग्राहक आसानी से चश्मे ऑर्डर कर सकते थे या स्टोर पर जाकर ट्राय कर सकते थे।
लेंसकार्ट की एक बड़ी USP (Unique Selling Proposition) थी – ‘फ्री आई टेस्टिंग और होम ट्रायल सर्विस’। इससे लोगों को घर बैठे चश्मा खरीदने में सुविधा मिली।
चुनौतियाँ और संघर्ष (Challenges & Struggles)
Lenskart को खड़ा करना आसान नहीं था।
- भारतीय ग्राहकों की आदत थी कि वे चश्मा खरीदने से पहले दुकानदार से सलाह लें और ट्रायल करके ही खरीदें।
- ऑनलाइन चश्मा खरीदना उस समय एक नया और जोखिम भरा कॉन्सेप्ट था।
- मार्केट में पहले से कई पारंपरिक ऑप्टिकल शॉप्स मौजूद थीं।
लेकिन पियूष और उनकी टीम ने टेक्नोलॉजी, कस्टमर सर्विस और मार्केटिंग का शानदार मिश्रण बनाया।
- उन्होंने 3D ट्रायल फीचर लॉन्च किया, जिससे ग्राहक अपने चेहरे पर चश्मे का वर्चुअल ट्रायल कर सकते थे।
- उन्होंने EMI, डिस्काउंट और वारंटी जैसी सुविधाएँ भी दीं।
सफलता और उपलब्धियां (Success & Achievements)
आज Lenskart भारत की सबसे बड़ी आईवियर कंपनी है।
- कंपनी के 1000+ स्टोर्स भारत और विदेशों में फैले हुए हैं।
- यह कंपनी एक यूनिकॉर्न स्टार्टअप है, जिसकी वैल्यूएशन अरबों डॉलर में है।
- Lenskart ने SoftBank, Premji Invest और KKR जैसे बड़े निवेशकों से फंडिंग हासिल की है।
- पियूष बंसल को कई स्टार्टअप अवार्ड्स और लीडरशिप अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।
- वे अब सिर्फ एक उद्यमी नहीं, बल्कि Shark Tank India के जरिए लाखों युवाओं के मेंटर भी बन गए हैं।
बिज़नेस मॉडल और इनोवेशन (Business Model & Innovation)
Lenskart का बिज़नेस मॉडल अनोखा है।
- Direct-to-Customer (D2C) – कंपनी सीधे ग्राहकों तक पहुँचती है, जिससे कीमतें कम रखी जा सकें।
- Hybrid Model – ऑनलाइन + ऑफलाइन स्टोर मिलकर काम करते हैं।
- Technology Driven – 3D ट्रायल, AI-बेस्ड रिकमेंडेशन और होम सर्विस।
- Customer First Approach – मुफ्त आई टेस्टिंग और आसान रिटर्न पॉलिसी।
पियूष बंसल से मिलने वाली सीख (Lessons from Peyush Bansal)
- असफलता से मत डरें – शुरुआती असफलताएँ ही आगे की सफलता का रास्ता बनाती हैं।
- ग्राहक को समझें – सफलता तभी मिलती है जब आप ग्राहक की जरूरत को प्राथमिकता दें।
- नवाचार ही कुंजी है – बिज़नेस को टिकाऊ बनाने के लिए लगातार इनोवेशन ज़रूरी है।
- बड़ा सपना देखें – छोटे स्तर से शुरुआत करके भी बड़ा ब्रांड बनाया जा सकता है।
स्रोत:
- Wikipedia – Peyush Bansal: https://en.wikipedia.org/wiki/Peyush_Bansal
- StartupTalky – Peyush Bansal Success Story: https://startuptalky.com/peyush-bansal-success-story
- Inspirepreneur Magazine – Peyush Bansal Story: https://inspirepreneurmagazine.com/peyush-bansal-the-man-who-made-glasses-simple-for-every-indian
FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1. पियूष बंसल कौन हैं?
👉 पियूष बंसल Lenskart के संस्थापक और सीईओ हैं। वे एक भारतीय उद्यमी और Shark Tank India के निवेशक (Shark) भी हैं।
Q2. पियूष बंसल की शिक्षा कहाँ हुई?
👉 उन्होंने McGill University, Canada से इंजीनियरिंग और IIM Bangalore से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।
Q3. Lenskart कब शुरू हुई थी?
👉 Lenskart की शुरुआत साल 2010 में हुई थी।
Q4. Lenskart को खास क्या बनाता है?
👉 इसकी ऑनलाइन + ऑफलाइन हाइब्रिड सर्विस, फ्री आई टेस्टिंग, होम ट्रायल और 3D वर्चुअल ट्रायल टेक्नोलॉजी इसे खास बनाती है।
Q5. पियूष बंसल की नेटवर्थ कितनी है?
👉 मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी नेटवर्थ ₹600 करोड़+ आंकी जाती है (निवेश और Lenskart की हिस्सेदारी सहित)।
Q6. क्या पियूष बंसल ने अन्य स्टार्टअप्स में भी निवेश किया है?
👉 हाँ, वे Shark Tank India में कई स्टार्टअप्स में निवेश कर चुके हैं और नए उद्यमियों को गाइड करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
पियूष बंसल की कहानी यह साबित करती है कि सपनों को पूरा करने के लिए साहस, धैर्य और मेहनत जरूरी है। उन्होंने दिखाया कि कैसे एक साधारण सोच और सही रणनीति से एक यूनिकॉर्न कंपनी खड़ी की जा सकती है।
आज वे सिर्फ एक सफल उद्यमी नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं।












